UP के एग्जिट पोल आ गए हैं। हमने 5 चैनल्स और एजेंसीज के एग्जिट पोल देखे। साथ ही ये भी देखा कि यही चैनल्स और एजेंसीज 70 दिन पहले क्या ओपिनियन पोल दे रहे थे।
हमें दोनों में सबसे ज्यादा मात्र 12 सीटों का फर्क नजर आया, तो कहीं 0 सीटों का फर्क रहा।
जब ओपिनियन पोल आए थे तो प्रदेश में भाजपा की लहर थी। भाजपा ने चुनाव से 177 दिन पहले 8 बड़े प्रोजेक्ट्स के उद्घाटन किए थे।
राम मंदिर भी बड़ा मुद्दा था। इसका असर ओपिनियन पोल पर नजर आया। सभी 5 पोल में भाजपा की बहुमत से सरकार बन रही थी।
पर क्या इन 70 दिनों में कुछ नहीं बदला?
पहले और दूसरे चरण के चुनाव पश्चिमी UP की सीटों पर हुए। ये वही सीट हैं जहां किसान आंदोलन का मुद्दा सबसे ज्यादा गरमाया था।
दोनों चरण के एग्जिट पोल में भाजपा को 31-33 तो सपा को 20-23 सीटें मिलती दिखाई दीं।
तीसरे चरण में हिजाब के मुद्दे पर सियासत गरमाई। एग्जिट पोल में भाजपा और सपा की एकदम कांटे की टक्कर थी।
इसके बाद अयोध्या में अखिलेश का रोड शो हुआ। उसमें हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
यहां तक कि अखिलेश यादव ने ऐलान कर दिया, “UP में सपा की वापसी होना तय।”
पर इन सबका असर एग्जिट पोल पर नजर नहीं आया। एग्जिट पोल देखकर लग रहा कि ओपिनियन पोल में ही थोड़ा हेर-फेर करके लगा दिया गया।
आइए ओपिनियन और एग्जिट पोल के फर्क को 5 ग्राफिक्स से और साफ करते हैं…